“शिव कथा” की दिव्यता से गुंजायमान हुआ मुंगेली — श्रद्धा, भक्ति और शिवत्व की त्रिवेणी

रिपोर्टर कोमल देवांगन मुंगेलिहा 7869725089
मुंगेली (छत्तीसगढ़) — छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक चेतना से भरपूर भूमि मुंगेली इन दिनों आध्यात्मिक उल्लास और शिवत्व की अलौकिक ऊर्जा से सराबोर है। प्रसिद्ध संत एवं कथा वाचक पूज्य गिरिबापु द्वारा प्रवाहित “शिव कथा 811” का अमृतमयी प्रवाह निरंतर बह रहा है, जिसमें श्रद्धालुओं का जनसैलाब डुबकी लगा रहा है। यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जागरण बन गया है, जिसने हजारों हृदयों को शिवमय कर दिया है।

आध्यात्मिक परिवेश में नहा उठा कथा स्थल

शिव कथा के आयोजन स्थल को भव्य झूमरों, रुद्राक्ष मालाओं, त्रिशूल और ओम् के प्रतीकों से सजाया गया है। कथा पांडाल में प्रवेश करते ही जैसे किसी अन्य लोक में पहुँचने का अनुभव होता है। हर दिशा से गूंजती रुद्राष्टक, महामृत्युंजय मंत्र और शिव तांडव स्तोत्र की दिव्य ध्वनि वातावरण को ध्यानमग्न कर देती है। जैसे ही पूज्य गिरिबापु की वाणी गूंजती है, हर श्रद्धालु की चेतना उच्चतम आध्यात्मिक स्तर को छूने लगती है।

कथा का दूसरा दिवस: क्रोध, विवेक और शिव भक्ति की सीख

दूसरे दिन की कथा में पूज्य गिरिबापु ने पौराणिक प्रसंगों के माध्यम से गूढ़ आध्यात्मिक शिक्षा दी। उन्होंने नारद मुनि के क्रोध, शिवगणों को दिया गया श्राप, और विष्णु जी को दिए गए वचन का उल्लेख करते हुए कहा कि “क्रोध के क्षणों में विवेक नष्ट हो जाता है, और उस समय दिया गया श्राप पुण्य का क्षय कर देता है।”
कथा में बताया गया कि नारद मुनि के भीतर उपजे पश्चाताप के बाद विष्णु जी ने उन्हें त्रिपुंड धारण करने, रुद्राक्ष पहनने और पंचाक्षर मंत्र का जाप करने का मार्ग बताया — यही शिव भक्ति का सार है।

रुद्राक्ष की महिमा और साधक की शुद्धता पर बल

पूज्य गिरिबापु ने रुद्राक्ष की दिव्यता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रुद्राक्ष केवल एक आभूषण नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उपकरण है। 1 मुखी से लेकर 14 मुखी तक के रुद्राक्ष की महिमा, उसके उपयोग और प्रभावों की गहराई से व्याख्या की गई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “मांस-मद्य सेवन करने वाले साधकों को रुद्राक्ष धारण करने से कोई लाभ नहीं मिलता। रुद्राक्ष शुद्ध साधना का प्रतीक है।”
उन्होंने कहा कि शिव की सच्ची पूजा मौन और ध्यान है। फूल, बेलपत्र, जल—ये भौतिक भक्ति के माध्यम हैं, लेकिन मौन ध्यान ही शिव तक पहुँचने का श्रेष्ठ मार्ग है।

श्रद्धालुओं में उमड़ा भक्तिरस, भावविभोर हुआ मुंगेली

इस आयोजन में मुंगेली ही नहीं, अपितु पूरे छत्तीसगढ़ व देश के कोने-कोने से श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। कथा के हर प्रसंग पर श्रद्धालु भावविभोर हो जाते हैं—कभी आँखों से अश्रुधारा बहती है तो कभी हृदय से हर-हर महादेव की गूंज उठती है। कई श्रद्धालुओं ने साझा किया कि उन्हें कथा के दौरान “जीवंत ऊर्जा” का अनुभव हुआ, मानो स्वयं भगवान शिव वहाँ उपस्थित होकर आशीर्वाद दे रहे हों।

सीधा प्रसारण: देश-विदेश में बिखर रही शिव कथा की महिमा

इस दिव्य आयोजन का सीधा प्रसारण यूट्यूब पर किया जा रहा है, जिससे देश-विदेश में बसे लाखों शिवभक्त भी इस कथा में भागीदारी कर पा रहे हैं। मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन पर बैठे श्रद्धालु भी भक्ति में लीन होकर कथा का आनंद उठा रहे हैं।

11 जून तक चलेगी कथा, हर दिन नया प्रसंग, नई ऊर्जा

यह “शिव कथा 811” 11 जून तक प्रतिदिन चलेगी, जिसमें शिव-पार्वती विवाह, अर्जुन को पाशुपत अस्त्र की प्राप्ति, रावण की शिव भक्ति, काल भैरव की उत्पत्ति, शिव-तांडव रहस्य जैसे विविध विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा होगी।
मुंगेली में आयोजित “शिव कथा” एक धार्मिक आयोजन से कहीं अधिक एक आत्मिक क्रांति बन चुका है। पूज्य गिरिबापु की वाणी में वह शक्ति है जो श्रोताओं के भीतर सुप्त शिवत्व को जागृत कर रही है। इस आयोजन ने न केवल मुंगेली को शिवमय बना दिया है, बल्कि संपूर्ण प्रदेश और देश में भक्ति की दिव्य तरंगें प्रवाहित कर दी हैं।

Jay Johar

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